किसी और से बहस क्या करना
बस एक गुजारिश है
अगर कभी सुकून में रहो तो
खुद के मन में झांक कर देखना
शायद ढूंढ सको कभी खुद को
ढ़ेरों चेहरों से ढ़के
रंग बदलते
किरदारों की भीड़ में
आखिर तुम भी तो
अव्वल बहुरूपिया रहे हो...😉